Saturday 12 May 2018

After long time I am back again in the world of blogs. For few years I have been engaged in my family duties. 

Monday 19 September 2011

kash.......

काश !
वो सुन पाते मेरे मन की आवाज 
हर एक आम आदमी की आवाज 
तो शायद मेरा देश सुधर जाता 
पर वो तो बहरे हैं ,अंधे हैं ,
दुनीया के हर नेता की भांति ,
सत्ता के नशे में चूर 
नहीं सुनेगे जनता की आवाज .

Sunday 19 June 2011

BOOKS ARE USEFUL..........

  किताबें सब कुछ नहीं पर बहुत कुछ हैं |यदि सही वक्त परसही किताब मिल जाये तो यह ईशवर की सबसे बड़ी नेमत है| एक शब्द ही काफी है जिंदगी का रुख बदलने के लिए |किताबों में ज्ञान का अथाह सागर छिपा हुआ है |जरुरत तो केवल इतनी है कि इस सागर में डुबकी लगाई जाये |आज दुनिया के समस्त ज्ञान को किताबों में पाया जा सकता है | क्यों नहीं मन में जिज्ञासा पैदा की जाये और फिर  उसका समाधान किताबों में खोजा जाये | दुनिया की वर्तमान सास्याओं का एक कारगर हल यह हो सकता है कि अच्छी किताबें पढ़ी जाये जो कि मनुष्य के विचारों को शुद्धता प्रदान करे | उसकी सोचने कि सक्ति सकारात्मक हो ताकि उसके कर्म भी अच्छे हों | हम अच्छी पुस्तकों का प्रचार-प्रसार कर लोगों को पढ़ने के लिए प्रेरित कर मानवता के सामने आये संकटों से मुक्ति पा सकते है | शांति ! शांति ! शांति !

Thursday 16 June 2011

sarkari daman

आज फिर एक राज्य सरकार ने मिशन ७२ की रैली  पर दमनकारी रवैया अपनाते हुए इसे रोकने के आदेश जारी किये | क्या शांतिपूर्ण तरीकों से अपनी जायज मांगे रखना और माननीय  सर्वोच्च न्यायलय के निर्णय को राज्य में लागू करवाने के लिए सरकार को ग्यापन देना गैरकानूनी है ? आज सभी जानते है कि आरक्षण का फायदा कौन उठा रहा है |जिसे एक बार फायदा मिल गया उसी का परिवार बार-बार फायदा उठा रहा है |एक घर में चार-पांच आर. ए. एस.या आइ. ए. एस. बन जाते है जबकि मेरे गाँव में आजादी के चौंसठ वर्ष बाद भी केवल चार व्यक्ति शिक्षा विभाग में आध्यापक लगें है | आरक्षण की इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी | माननीय बाबा साहेब आम्बेडकर के स्वप्नों को आरक्षित वर्ग के लोगों ने ही बार-बार आरक्षण लेकर  कुचला है| क्यों नहीं ये सरकारें एक परिवार को एक बार आरक्षण की निति बनाकर वास्तविक जरूरतमंद व्यक्ति को इसका फायदा देती ?        

Tuesday 14 June 2011

kis se kahun

किससे कहूँ ? जब अपना मन ही नहीं सुन रहा मेरी बात | क्यों उम्मीद करू  किकोई और सुनेगा मेरी बात | कहने को तो हर किसी के पास बहुत है पर सुनने के लिए नहीं | काश! कोई सुन पाता अपने-आप को | मैं भी कोशिश करता हूँ कि सुनु अपने आप को | पर न जाने क्यूँ मेरी खुद की आवाज दब जाती है कण तक आते आते |   

Sunday 12 June 2011

koi hai..........

कोई है ....
 जो देता है जन्म ...
चुप करवाता है रोते को....
पेट की आग को शांत करता है .....
सिखाता है चलना.......
हँसना ,मचलना ,समझाना-समझना.....
अच्छा-बुरा सोचना और करना .....
जीना और मरना .....
कौन है वो ...
जो रुलाता भी और हँसता भी है .....